गर्मियों में भारत में तापमान बहुत ज्यादा हो जाता हैऔर इस गर्मी से सभी बड़े परेशान रहते हैं लेकिन सबसे ज्यादा परेशान होता है आपके सपनों के घर में लगने वाला कंक्रीट । आप खुद को तो सही कपड़ों, खान पान और ठंडक में रख कर बचाते हैं लेकिन क्या आप इस चिलचिलाती गर्मी में अपने कंक्रीट का सही से ध्यान रख पाते हैं ?
शायद नहीं, जयादातर घरों के निर्माण में इस गर्मी में भी तराई के उन्ही तरीकों का इस्तेमाल होता है जो साल के बाकि मौसमों में होता है और परंपरागत तरीके से पानी के द्वारा की गई तराई आपके घर की कंक्रीट को कमजोर और समस्याग्रस्त बना देती है।
जी हाँ, जैसे हम गर्मी में स्वेटर नहीं कॉटन के कपडे पहनते हैं उसी तरह गर्मी में हमें कंक्रीट की तराई के लिए सही तरीकों का चयन करना पड़ेगा। वैसे तो गर्मी में तराई के कई तरीके हैं लेकिन आज हम बात कर रहे हैं “हेसिअन क्लॉथ” (टाट) द्वारा कंक्रीट की तराई की।
पहले हम समझेंगे क्योरिंग क्या है और क्यों जरूरी है?
कंक्रीट में सीमेंट और पानी लगभग महीने भर तक मजबूती लेने वाली रासायनिक क्रिया जिसे हम सीमेंट का हाइड्रेशन कहते हैं, करते रहते हैं और एक जैल (C-H-S Gel) बनाते हैं जो सख्त होकर रेती और गिट्टी को आपस में बांधता है । इस तरह से कंक्रीट में मजबूती आती है।
मजबूती लेने की यह रासायनिक क्रिया चलती रहे इसके लिए जरुरी है की मसाला (कंक्रीट) बनाते समय मिलाया गया पानी वाष्पीकृत होकर उड़े नहीं और कंक्रीट के साथ रहे। इस पानी को बचने के लिए कंक्रीट की तराई की जाती है। भारतीय मानक ब्यूरो के कोड IS 456 के अनुसार तराई के दौरान कंक्रीट या मोर्टार हर समय गीला रहे और लगभग 10 दिनों तक तराई की जाए। हालाँकि पीपीसी सीमेंट के इस्तेमाल में विशेषज्ञों द्वारा 15 दिनों तक तराई की व्यवस्था की सलाह दी जाती है। इस आसान से तथ्य को समझ कर हम तराई के सही तरीकों का चयन कर सकते हैं। अब देखते हैं परंपरागत पानी से होने वाली तराई इस गर्मी में काम क्यों नहीं करती और कंक्रीट में क्या क्या समस्याएं आती हैं ?
तराई में देरी से होने वाला नुकसान:
साधारण तौर से लोग समझते हैं की आज कंक्रीट किया तो कल से तराई करेंगे लेकिन यह नियम गर्मियों में काम नहीं करता। जहाँ तापमान 40 और उससे ज्यादा होने लगता हैं कंक्रीट आधे से दो घंटे में ही सेट हो जाता है उसमे से पानी वाष्पीकृत होकर उड़ने लगता है। अगले दिन तक काफी सारा पानी कंक्रीट में से वाष्पीकृत हो जाता है।
गर्मियों में क्रैक्स समस्या का कारण हैं
पानी से होने वाली अनियमित तराई:
पानी से इस गरम मौसम में तराई बड़ी अनियमित होती है और कंक्रीट की सतह बार बार सूखी गीली होने से उसमे खिचाव और संकुचन होता है यह कंक्रीट को बहुत कमजोर और समस्या वाला बना देती हैं । विशेष रूप से कॉलम, बीम, प्लास्टर और जुड़ाई वाला कंक्रीट और मोर्टार को पानी से सही तराई कर पाना लगभग असंभव है।
अनियमित और गलत तराई के नुकसान:
प्लास्टिक संकोचन दरारें: कंक्रीट की सतह असमान रूप से सूखने पर उसमें भद्दे दरारें पड़ जाती हैं, जो न सिर्फ खराब दिखती हैं बल्कि कंक्रीट की जलरोधक क्षमता को भी कमजोर कर देती हैं।
क्रेजिंग: कंक्रीट की सतह पर महीन बालों जैसी दरारें का जाल बन जाता है, जो कंक्रीट की मजबूती को कम कर देता है।
कम मजबूती: अधूरा हाइड्रेशन कमजोर कंक्रीट बनाता है, जो भविष्य में होने वाली क्षति और टूट-फूट का ज्यादा शिकार हो सकता है.
ज्यादा पारगम्यता (खोखला कंक्रीट): खराब तरीके से क्योर किया गया कंक्रीट पानी को रिसने देता है, जिससे अंदर की सरिया का क्षरण हो सकता है और भवन की संरचना को भी खतरा हो सकता है।
कुल मिलाकर हो सकता है कभी कभी तुरंत समस्याएं ना भी दिखें लेकिन याद रहे हम एक अपना घर 5-10 वर्षों के लिए नहीं बल्कि एक बड़े लम्बे समय के लिए प्लान करते है। गर्मी में तराई की लापरवाही आपके भवन की ड्यूरेबिलिटी को नुकसान पहुंचाकर भवन की लाइफ कम करती है।
अब हम बात करते है इस गर्म मौसम में तराई के सही तरीके और नियम क्या है ?
पहला नियम सही समय पर तराई शुरुआत:
तराई शुरू करने का सही समय के लिए कंक्रीट या मोर्टार की सतह को हाथ से दबा कर देखें यदि उसमें अब कोई छाप (चिन्ह) नहीं है तो तुरंत तराई शुरू करें, कल के इंतजार वाला नियम भरी पड़ेगा।
जैसे ही कंक्रीट सेट हो तराई शुरू करें
तराई के लिए अच्छे तरीके:
गर्म मौसम में तराई के लिए कई तरीके प्रचलित है जैसे क्युरिंग कंपाउंड, क्युरिंग मेम्ब्रेन और “हेसिअन क्लॉथ” टाट से ढक कर तराई।
इस ब्लॉग में हम टाट से ढक कर तराई के फायदे जानेंगे।
“हेसिअन क्लॉथ” टाट से ढक कर तराई सही तरीका:
जैसे ही आधे से दो घंटे के बाद जब कंक्रीट या प्लास्टर मोर्टार की सतह हाथ लगाने पर सख्त मालूम हो, हेसिअन क्लॉथ को नम करके उन पर बिछाते जाएँ । फिर हेसिअन क्लॉथ को समय समय पर गीला करते रहें।
हेसियन क्लॉथ के फायदे:
- जूट के रेशों से बना हेसियन का कपड़ा गर्मियों में कंक्रीट के क्योरिंग के लिए कई फायदे देता है:
- नमी बनाए रखना: हेसियन की सही बुनाई पानी को नियंत्रित मात्रा में वाष्पित होने देते हैं, जिससे कंक्रीट और मोर्टार की सतह लंबे समय तक नम रहती है।
- तापमान कम करना: हेसियन क्लॉथ छाया प्रदान करता है, जिससे कंक्रीट की सतह का तापमान कम रहता है और नमी का वाष्पीकरण धीमा होता है।
- सस्ता उपाय: हेसियन का कपड़ा आसानी से मिलने वाली और किफायती सामग्री है।
- कंक्रीट स्लैब: बड़े खुले स्लैबों पर पानी का असमान वितरण और तेजी से सूखना स्लैब में warping और curling का कारण बन सकता है. हेसियन का कपड़ा पूरे स्लैब पर एक समान नमी बनाए रखता है।
- बाहरी दीवारें: सीधी धूप और हवा बाहरी दीवारों से नमी को तेजी से निकाल देती है. हेसियन का कपड़ा छाया प्रदान करके वाष्पीकरण को धीमा करता है और उचित क्योरिंग को बढ़ावा देता है.
- कॉलम में तो तराई के लिए सिर्फ हेसिअन क्लॉथ (टाट) अच्छा तरीका हैं, क्यूंकि पानी तो तुरंत ही उसकी सतह से नीचे आ जाता है।
निष्कर्ष:
गर्म मौसम में हेसिअन क्लॉथ से तराई करके आप अपने सपनो के घर को मजबूत और समस्या रहित बना सकते है।
रिफरेन्स: IS 7861 (पार्ट-1) गर्म मौसम में कंक्रीटिंग के लिए भारतीय मानक संसथान की गाइडलाइन्स है।
गर्मीं के मौसम में निर्माण कार्य के लिए अपने ऐसे सुझावों के लिए एक सिविल इंजीनियर आपको सही सलाह दे सकते है। यदि आपका बिल्डिंग मटेरियल डीलर टेक्निकल क्वालिफाइड है तो वो भी आपको सही सलाह दे सकता है। सही इंजीनियर, ठेकेदार और डीलर का चयन आपके निर्माण को ज्यादा मजबूत और टिकाऊ बना सकते है।
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Thank You, Mishra Ji.
यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है बहुत बहुत धन्यवाद
Thank You Kapil Ji!